December 24, 2024

सर्दियों में बारिश नहीं होने से किसानों की बढ़ी टेंशन, उत्तराखंड में सूखे जैसे हालात 

देहरादून। जनवरी बीतने को है लेकिन इंद्र देव मेहरबान नहीं हुए हैं। इस वजह से सूखे के हालात पैदा हो गए हैं। सूखे के नुकसान का आंकलन करने की जिम्मेदारी तीन विभागों को दी गई है। उत्तराखंड के कई पर्वतीय जिलों में सूखे जैसे हालत से किसान भी परेशान हैं।
चम्पावत में बीते चार माह में महज 17.50 एमएम बारिश हुई है। सूखे से गेहूं, मसूर और सरसों सूखने के कगार पर है। चम्पावत में बीते चार माह में महज 17.5 एमएम बारिश हुई है। इससे सूखे के हालात पैदा हो गए हैं।

जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अक्तूबर में 15.50, नवंबर, दिसंबर और जनवरी में अब तक शून्य एमएम बारिश हुई है। बारिश नहीं होने से गेहूं, मसूर और सरसों की खेती पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा खेत में उगी सब्जियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। इससे किसानों की चिंता भी बढ़ रही है। जिले में करीब 1700 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं, मसूर और सरसों खेती की जाती है।

चम्पावत में बीते चार वर्ष के दौरान अंतिम माह में कम बारिश हुई है। जिला आपदा नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 के आखिरी तीन महीने अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर में 27 एमएम बारिश हुई। 2019 में 19 एमएम, वर्ष 2020 में महज एक एमएम बारिश हुई। इसके अलावा वर्ष 2021 में अक्तूबर में 501 एमएम, नवंबर में शून्य, दिसंबर में छह एमएम बारिश दर्ज की गई। वर्ष 2022 में अक्टूबर में 210, नवंबर में चार और दिसंबर में शून्य बारिश हुई।

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