तमाम रुकावटों के बावजूद इमरान मतदाताओं में बेहद लोकप्रिय बने हुए हैं। यह बात कुछ चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से भी जाहिर हुई है। जाहिर है, सैन्य नेतृत्व आशंकित है कि कहीं पीटीआई जीत गई, तो इमरान की सत्ता-वापसी हो सकती है। पाकिस्तान में सेना ने पटकथा लिख दी है। बाकी सभी किरदार उसके मुताबिक अपना रोल अदा कर रहे हैं। इन किरदारों में न्यायपालिका भी है। पाकिस्तान के 77 साल के इतिहास में कभी-कभार ही अदालतें सेना की लिखी पटकथा से हटी हैं। 1970 के दशक में ऐसी ही एक पटकथा के तहत तब के देश के सबसे लोकप्रिय नेता जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया था। अब कुछ-कुछ वैसा ही आज के सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान के साथ दोहराया जा रहा है। ऐसी चर्चा है कि सेना ने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाने के बाद विदेश चले जाने का विकल्प दिया था। लेकिन खान ने देश में रहते हुए संघर्ष करने का फैसला किया। तो इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। दो दिन में दो मामलों में उन्हें लंबी कैद की सजा सुनाई गई है।
बुधवार को इमरान और उनकी पत्नी बुशरा खान को तोशाखाना मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई। एक दिन पहले ही साइफर केस यानी कूटनीतिक संदेश को सार्वजनिक करने के इल्जाम में इमरान को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस्लामाबाद की एक अदालत ने इमरान और बुशरा दोनों पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही दोनों की किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति पर 10 साल तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। असल मकसद यही है। इमरान खान और उनकी पार्टी पहले से कहते रहे हैं कि सैन्य नेतृत्व ने पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि तैयार की, ताकि वे चुनाव ना लड़ सकें। पाकिस्तान में आठ फरवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। इमरान खान के चुनाव लडऩे पर पहले ही प्रतिबंध लगाया चुका है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से उसका चुनाव निशान (क्रिकेट का बैट) छीन लिया गया है। इसके बावजूद इमरान मतदाताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बने हुए हैं। यह बात कुछ चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से भी जाहिर हुई है। जाहिर है, सैन्य नेतृत्व आशंकित है कि कहीं तमाम रुकावटों के बावजूद पीटीआई जीत गई, तो इमरान की सत्ता-वापसी हो सकती है। इसलिए अब उन्हें कैद की सज़ाएं सुनाई जा रही हैं।
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