देहरादून। गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में इस बार मतदान जिस प्रकार घटा है, उसने राजनीतिक दलों को भी चौंका दिया है। मताधिकार के प्रयोग में तराई यानी मैदानी क्षेत्रों ने पर्वतीय क्षेत्रों को काफी पीछे छोड़ दिया। रामनगर विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 60.82 प्रतिशत मतदान हुआ। कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र 58.80 प्रतिशत मतदान के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
वहीं, देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 37.60 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मतदान में रुचि दिखाई। इस सीट पर कुल 13 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया। जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, चार जून को चुनाव परिणाम घोषित होने पर ही इसका पता चल सकेगा।
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में 13 प्रत्याशी चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं। शुक्रवार को मतदान के साथ ही इन सभी प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया। इस बार चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा था। मुख्य राज्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से मतदान बढ़ाने के लिए प्रयास किए गए, लेकिन इन्हें सफलता मिलती नजर नहीं आई। पर्वतीय क्षेत्र बाहुल्य इस सीट पर मतदान पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में काफी घटा है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में कुल मतदान 55.17 प्रतिशत था। इस बार यह घटकर 48.81 प्रतिशत रह गया है। मतदान की यह जानकारी अभी अनंतिम है। दूरस्थ क्षेत्रों से आंकड़े उपलब्ध होने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पांच विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 37 प्रतिशत से 42 प्रतिशत के बीच सिमट गया। देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 37.60 प्रतिशत मतदान हुआ।
लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में भी 39.10 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का उपयोग किया। पर्वतीय क्षेत्रों में सर्वाधिक मतदान केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में 55.18 प्रतिशत हुआ। इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 14 विधानसभा सीट में बद्रीनाथ को छोड़कर सभी पर भाजपा का कब्जा है। बद्रीनाथ सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुने गए विधायक राजेंद्र भंडारी भाजपा में सम्मिलित हो चुके हैं। अब यह विधानसभा सीट रिक्त है।
गढ़वाल संसदीय सीट पर मतदान प्रतिशत कम रहने से राजनीतिक दल चिंता में

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